पूरे भारत में जल संरक्षण के माध्यम से शांति निर्माण की दिशा में काम होना चाहिए :- डॉ राजेन्द्र जी सिंह जलपुरुष

पूरे भारत में जल संरक्षण के माध्यम से शांति निर्माण की दिशा में काम होना चाहिए :- डॉ राजेन्द्र सिंह जलपुरुष
स्थान- विश्व युवा केन्द्र, दिल्ली
दिनांक 25 मार्च 2025 को स्वराज विमर्श यात्रा लखनऊ से दिल्ली पहुंची। यहां विश्व युवा केन्द्र, दिल्ली में ‘‘महिला, युवा, आध्यात्मिकता’’ पर अंतराष्ट्रीय कांॅफ्रेंस का आयोजन किया गया। इस कांफ्रेस में जलपुरुष राजेन्द्र सिंह जी, डॉ. जेनेट आई के जोलाओसो (अध्यक्ष-आईएफटीडीओसीडब्लूवाईईई), सपना श्रीकांत (सीजीएम/निदेशक एचपीसीएल), सुश्री मोनिका बहेल (सीईओ बीएंडडब्ल्यूएसएससी), सुश्री सस्मिता बिराबर जीएम एचआर इफको, सुश्री अनीता चौहान, सह-अध्यक्ष आईएफटीडीओ-सीडब्लूवाईईई, नालंदा प्रकाशन के अध्यक्ष नीरज कुमार आदि उपस्थित रहे।
क्रांफेस को संबोधित करते हुए जलपुरुष जी ने कहा कि, हमारे पास एक पृथ्वी, एक ग्रह और एक जल है। हम इस ग्रह पर रहने वाले सभी लोगों से आग्रह करते हैं कि, वे पानी को अपना जीवन बनाएं और इसके कायाकल्प के लिए पानी के साथ आत्मीय संबंध विकसित करें। हम सरकार से जल पुनर्जीवन को बढ़ावा देने, समुदाय संचालित विकेन्द्रीकृत जल संरक्षण को सक्षम करने और जल संरक्षण के माध्यम से प्रकृति पुनर्जीवन के आसपास अपनी अर्थव्यवस्थाओं को केंद्रित करने के लिए पूरी ईमानदारी से अपनी भूमिका निभाने का आग्रह करते हैं।
आगे कहा कि, जिस प्रकार चंबल के लोगों ने प्रकृति और पानी का सम्मान करके, जियो और जीने दो का व्यवहार बनाया है। आत्मनिर्भर, मजबूत और समर्थ बने है । इससे शांति और समृद्धि का मार्ग प्रशस्त हुआ है। ऐसे ही पूरे भारत में जल संरक्षण के माध्यम से शांति निर्माण की दिशा में काम होना चाहिए।
कार्यक्रम के अंत में तभासं के स्वर्ण जयंती वर्ष में प्रकाशित पानी पंचायत और डॉ इंदिरा खुराना द्वारा लिखित पुस्तक‘‘”Climate resilient socioeconomic growth through water conservation “’’का विमोचन किया गया। इस पुस्तक में साइट का चयन, और व्यापक उपयोग के लिए तभासं द्वारा अनुसरण की जाने वाली समुदाय द्वारा संचालित निर्माण प्रक्रिया का मूल्यांकन वर्णन उपलब्ध है।
डॉ. इंदिरा खुराना द्वारा लिखित इस पुस्तक से बहुत कुछ सीखने को मिलता है, जो राजस्थान के चंबल क्षेत्र के गांवों में जल संरक्षण कार्यों से संभव हुए जीवन बदलने वाले परिवर्तनों के उनके अपने अवलोकन, समझ और व्याख्याओं पर आधारित है। उन्होंने पानी की प्राचीन समझ के गुणों और इन संरचनाओं में आधुनिक जल संबंधी आपदाओं और जलवायु परिवर्तन को संबोधित करने की क्षमता को देखा है। जलवायु परिवर्तन के बढ़ते और त्वरित संकट को देखते हुए इस कार्य के वैश्विक महत्व को समझते हुए, उन्होंने इस कार्य के परिणामों की व्याख्या और व्याख्या करने में मदद की ताकि इसका उपयोग दुनिया भर के लोग कर सकें।
उन्होंने इंजीनियरिंग और प्रौद्योगिकी के अपने नजरिए से जल संरक्षण संरचनाओं और इन कम लागत वाली संरचनाओं के माध्यम से आए सामाजिक और पर्यावरणीय परिवर्तनों का अवलोकन किया। क्षेत्र में सुदूर संवेदन और आर्थिक परिवर्तनों की व्याख्या करने में उनका योगदान बहुत बड़ा रहा है और विकेंद्रीकृत जल संरक्षण द्वारा लाए गए पर्यावरणीय परिवर्तनों को एक बार फिर से प्रमाणित करता है।
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