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आधुनिक शिक्षा के आकर्षण में बंधी युवा पीढ़ी को भारतीय विद्या से जोड़ना होगा :- डॉ राजेन्द्र सिंह अंतरराष्ट्रीय जलपुरुष 

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आधुनिक शिक्षा के आकर्षण में बंधी युवा पीढ़ी को भारतीय विद्या से जोड़ना होगा :- डॉ राजेन्द्र सिंह अंतरराष्ट्रीय जलपुरुष 

आधुनिक शिक्षा के आकर्षण में बंधी युवा पीढ़ी को भारतीय विद्या से जोड़ना होगा :- डॉ राजेन्द्र सिंह अंतरराष्ट्रीय जलपुरुष 

विश्व जल सम्मेलन, उदयपूर राजस्थान 

25 फरवरी 2025 को तरूण भारत संघ के स्वर्णिम वर्ष पर जनार्दनराय नागर राजस्थान विद्यापीठ डीम्डटूबी विश्वविद्यालय, उदयपुर में तीसरे दो दिवसीय विश्व जल सम्मेलन का शुभारंभ हुआ। विश्व जल सम्मेलन के शुभारंभ अवसर पर मुख्य वक्ता के तौर पर जलपुरुष राजेन्द्र सिंह ने कहा कि, आज विश्व जिस तरह से पर्यावरणीय समस्याओं से जूझ रहा है; उसका हल परम्परागत भारतीय ज्ञान में रचा बसा है, जरूरत है तो बस आधुनिक शिक्षा को विद्या के साथ जोड़ने की। ये ही वो संजीवनी संयोजन है जो हमारी धरती मां और पर्यावरण को अमृतपान करवा सकता है। इसके लिए आधुनिक शिक्षा के आकर्षण में बंधी युवा पीढ़ी को भारतीय विद्या से जोड़ना होगा, उसकी वैज्ञानिकता और क्षमताओं से परिचित करवाना होगा, तभी वर्तमान पीढ़ी का भविष्य सुखमय बन पाएगा।
आगे बोलते हुए कहा कि, परम्परागत ज्ञान को अपनाने और अगली पीढ़ी तक पहुंचाने का कार्य यदि सकारात्मक रूप से पूर्ण करवाया जाएं तो हम काफी हद तक पर्यावरण और जल से जुड़ी समस्याओं से निजात पा सकते है।

विश्व जल सम्मेलन में अध्यक्षीय उद्बोधन में विद्यापीठ के कुलपति प्रो. एस. एस. सारंगदेवोत ने परम्परागत भारतीय ज्ञान में पंच महाभूतों का ऐसा समावेश है, पर्यावरण संबंधी हर प्रकार की समस्या का सामाधान उसमें समाहित है। पंचमहाभूतों को संतुलित करके प्रकृति में संतुलन बनाया जा सकता है। संतुलन की ये स्थिति भारतीय जीवन शैली है का हिस्सा रही है। जिसे वर्ततान में हम भूला बैठे है। हमें हमारी जड़ों की ओर लौटते हुए परम्परागत ज्ञान आधारित नवाचारों को अपने जीवन में शामिल करना होगा। उन्होंने समस्याओं संबंधी नीतियों के क्रियान्वयन और उनमें आने वाली समस्याओं के समाधानों की बात करते हुए पर्यावरणीय मुद्दों में सामुदायिक सहभागिता और वैश्विक सहयोग की भूमिका को महत्वपूर्ण बताया।
अनंत राष्ट्रीय विश्वविद्यालय अहमदाबाद के कुलपति प्रो. अनुनय चौबे ने अपने कहा कि शहरीकरण और विकास की दौड़ में पर्यावरणीय असंवेदनशीलता को देखा जा सकता है। पर्यावरणीय समस्याएं जो आज हमारे सामने आ रही है उसके लिए युवाओं को विषय और कक्षाओं की परिधी से बाहर ला कर समुदाय से जोड़ना होगा। सामाजिकता के साथ समुदाय के आर्थिक और दार्शनिक पहलुओं को समझ सामाजिक सहयोग के कौशल से युक्त पीढ़ी तैयार करना आज की प्रमुख आवश्यकता है। प्रकृति का जो स्वरूप और सुन्दरता हम सभी को सहज आकर्षित करता है उसके पीछे के प्रयासों और महत्व की समझ भी युवा पीढ़ी को देनी होगी जिससे प्रकृति के प्रति उनकी सोच को सकारात्मक और सहयोगात्मक बनाया जा सके।

विश्व जल सम्मेलन में जर्मन दूतावास में भारत जर्मनी संबंधी योजनाओं से जुड़ी डॉ. गीतांजलि ने धरती मां के लिए प्रत्येक व्यक्ति को अपने स्तर पर अपने लिए कदम उठाने की बात कही। सिंघानिया विवि के कुलपति प्रो. पृथ्वी यादव ने इंदौर और उदयपुर के उदाहरण के माध्यम से सामुदायिक सहयोग से प्रकृति की सेवा की बात कही।
मेक्सिको से आए हेलमुट केंजलमेन ने कहा कि, समय के साथ प्रकृति को जो दोहन हुआ है। उसको सामुदायिक सहयोग से अपने विद्यार्थियों को सामुदायिक सहयोग के कौशल से युक्त बनाना होगा जो भविष्य में हमसे बेहतर बने और पर्यावरण को संजोर रख सके। विश्व को रहने की बेहतरीन जगह बना सकें।
अमेरिका से आए हेरीबेरिटो वेलिसेनियर ने पृथ्वी के अस्तिव को बनाए रखने के लिए आपसी सहयोग, परंपरागत ज्ञान, बच्चों के साथ संवाद की बात कही। उन्होंने बताया कि हमें हमारे ज्ञान को अपने बच्चों के साथ साझा करना होगा। जिससे वो अपने परम्परागत ज्ञान के प्रति विश्वस्त होने के साथ साथ उसे अपनाने की दिशा में सकारात्मक रूप से कदम बढ़ा सके।
इस विश्व जल सम्मेलन में अफ्रीका, अमेरिका, नोर्व अमेरिका, ऐशिया, युरोप आस्ट्रेलिया के 19 देशों के प्रतिनिधियों ने भाग ले रहे है। जिसमें मुख्य रूप से उन देशों के प्रतिनिधी शामिल है जिन देशों में पिछले दो सालों में बाढ़ और सूखे के कारण विनाश हुआ है। स्वीडन, कनाड़ा, इजिप्ट, पुतर्गाल, लिथुनिया, नेपाल सहित भारत के महाराष्ट्र, गुजरात, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, मध्यप्रदेश, लद्दाख, दिल्ली, तमिलनाडु, कर्नाटक, राजस्थान के विभित राज्यों से आए सौ से अधिक प्रतिभागी भाग ले रहे है।
इस मौके पर अतिथियों ने तरूण भारत संघ के स्वर्ण जयन्ती वर्ष के मौके पर डॉ. राजेन्द्र सिंह के द्वारा लिखित पुस्तक पानी पंचायत का विमोचन किया गया। इस पुस्तक में संघ के द्वारा विगत पचास वर्षों में पर्यावरण और जल संरक्षण की दिशा में कार्यों का उल्लेख किया गया है। विश्व जल सम्मेलन में विवि के रजिस्ट्रार डॉ. तरूण श्रीमाली, प्रो सरोज गर्ग, डॉ. युवराज सिंह, डॉ. अनिल मेहता, डॉ. पंकज रावल, डॉ. पीके सिंह, डॉ. पुनीत कुमार, प्रो. गजेन्द माथुर, प्रो. आईजे माथुर, डॉ. रचना राठौड़, डॉ. अमी राठौड़, डॉ. रमन सूद, डॉ. बीरू राठौड़, मांजल सारंगदेवोत सहित शहर में पर्यावरण के लिए कार्य करने वाले पर्यावरणविद् और गणमान्य लोग उपस्थित थे।

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गोदावरी शुक्राचार्य

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