Breaking
ब्रेकिंग

प्रौद्योगिकी एवं अभियांत्रिकी का आधार मूल भारतीय ज्ञानतंत्र से ही हो सकता है :- डॉक्टर राजेंद्र सिंह जी आंतरराष्ट्रीय जलपुरुष

0 0 4 7 8 9

 

प्रौद्योगिकी एवं अभियांत्रिकी का आधार मूल भारतीय ज्ञानतंत्र से ही हो सकता है :- डॉक्टर राजेंद्र सिंह जी आंतरराष्ट्रीय जलपुरुष

10 दिसंबर 2024 को स्वराज विमर्श यात्रा असम से चैन्नई पहुंची। यहां भारतीय राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी (आईएनएसए) की 90वीं वर्षगांठ के अवसर पर हिप्पोक्रेट्स ऑडिटोरियम, मेडिकल कॉलेज, एसआरएमआईएसटी में सम्मेलन आयोजित किया गया।* जिसमें आईएनएसए के अध्यक्ष प्रो अशुतोष शर्मा, कार्यकारी निदेशक , नवनिर्वाचित फेलो, युवा वैज्ञानिक और देशभर के जानेमाने वैज्ञानिक शामिल हुए। यहां सम्मेलन को संबोधित करते हुए जलपुरुष राजेन्द्र सिंह जी ने कहा कि, आज की प्रचलित प्रौद्योगिकी ने विकास के नाम पर केवल विस्थापन, बिगाड़ और विनाश ही किया है। प्राचीन काल में भारत संवेदनाल अहिंसक विज्ञान से ही आगे बढ़ा था। प्रौद्योगिक और अभियांत्रिकी को जब संवेदनशील विज्ञान के साथ समग्रता से जोड़कर रचना और निर्माण होता है, वही विस्थापन, विकृति और विनाश से मुक्त, स्थायी विकास होता है। इस सम्पूर्ण र्प्रक्रिया में सदैव नित्य-नूतन-निर्माण होने से ही ‘सनातन विकास’ बनता है। इसे ही हम नई स्थायी तकनीक कह सकते हैं तथा विनाश मुक्ति को ही नई अहिंसक प्रौद्योगिकी कह सकते है। उसी से आधुनिक वैश्विक जलवायु परिवर्तन के संकट से मुक्ति मिल सकती है। ऐसी प्रौद्योगिकी एवं अभियंत्रिकी का आधार भारतीय ज्ञानतंत्र से ही हो सकता है। आज की जलवायु परिवर्तन अनुकूलन व उन्मूलन करने वाली विधि से किए कामों के स्थायी प्रभाव दिखने पर ही उस काम के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी की समग्रता मान सकते है। ये जब भी अलग-अलग होकर काम करते रहते है, तभी से विनाश प्रक्रिया शुरू हो जाती है। जब इन्हें जोड़कर काम में लेते है; तभी अहिंसात्मक प्रक्रिया आरंभ होकर सनातन समृद्धि का रास्ता बना देती है।

आगे कहा कि, भारत की प्रकृति की समझ में ऊर्जा थी। वह भारतीय ज्ञान दुनिया को ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ कहकर एक करने वाली ऊर्जा से ओतप्रोत था। तभी तो हमारी ऊर्जा से हम जैसलमेर जैसे कम वर्षा वाले क्षेत्र को पुराने जमाने में ही आज के डी.सी. वाशिंगटन से बड़ा शुभ व्यापार केन्द्र बना सके थे। लम्बे समय तक हम इस रास्ते काबुल, कंधार, कजाकिस्तान, म्यांमार आदि देशों में ऊंटों के द्वारा व्यापार करते रहे। वह ऊर्जा का प्रतीक था। ऊर्जा और शक्ति में आजकल हमने विभेद करना छोड़ दिया। शक्ति को ही ऊर्जा कहने लगे। शक्ति निजी लाभ के रास्ते पर चलती है। ऊर्जा शुभ के साथ रास्ता बनाती है। इसलिए शक्ति विनाश और ऊर्जा शुभ सुरक्षा और समृद्धि प्रदान करती है।
आज सृजन प्रक्रिया को रोककर पूरे ब्रह्मण्ड़ में प्रदूषण बढ़ जाता है। केवल प्राकृतिक प्रदूषण बढ़ा है, ऐसा ही नहीं है; हमारी शिक्षा ने मानवीय सभ्यता और सांस्कृतिक प्रदूषण को भी बुरी तरह बढ़ा दिया है। अतिक्रमण, शोषण, प्रदूषण इन तीनों को हमारी आधुनिक शिक्षा ने ही बढ़ाया है। जब विखंडित शिक्षण होता है तभी आर्थिक लोभ-लालच बढ़कर हिंसक रूप धारण करता है। अतिक्रमण, प्रदूषण, शोषण हमारी हिंसक शिक्षा की ही देन है।
अतिक्रमण तो हमारी प्रबंधकीय शिक्षा की प्रमुख देन है। सभी प्रबंधकों को बाकायदा वही पढ़ाया जाता है। उनमें स्वयं के बुद्धि कौशल से सभी को प्रकृति और मानवता से संबंधित संसाधनों व नियंत्रण करने वाली क्षमता विकसित की जाती है। बुद्धि इसी तरह से काम करती है। वही विकसित कहलाती है, जो मानवीय संसाधन, प्रबंधन व मानवीय शक्ति को बढ़ा कर उस पर नियंत्रण करती है। प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन व प्राकृतिक संसाधनों पर अतिक्रमण कौशल को सभी को जोड़कर अतिक्रमण प्रक्रिया बना देते हैं। यह प्रक्रिया हिंसक शक्ति से शुरू होती है; इसीलिए इसमें हिंसा और लूट-खसोट साथ-साथ ही रहती हैं।
इसलिए हमें अध्यात्मिक विज्ञान व व्यवहार-संस्कार से जीवन की जरूरत पूरी करने वाला ही अहिंसक विकास के रास्ते पर मानवता और प्राकृतिक को बराबरी से आगे बढ़ाकर ‘अक्षय’ ‘सनातन विकास’ के रास्ते पर चलाता है। भारतीय इस पुनर्जनन प्रक्रिया को ही विकास कहते थे। इस सत्य को केवल संवेदनशील वैज्ञानिक ही जानते व समझते है। वे ही इस विज्ञान के विषय में बिना डरे बोलते हैं।
संवेदनशील विज्ञान ही हमें आज भी आगे बढ़ा सकता है। इसी रास्ते पर चलकर हम पूरी दुनिया को कुछ नया सिखा सकते हैं। दुनिया के प्राकृतिक संकट का आधुनिक संकट व जलवायु परिवर्तन का अनुकूलन व उन्मूलन द्वारा समाधान करने वाला विज्ञान, अभियांत्रिकी और प्रौद्योगिकी आज भी साकार सिद्ध हो सकते है।

1/5 - (1 vote)

गोदावरी शुक्राचार्य

बातमी शेअर करण्यासाठी येथे क्लिक करा
0 0 4 7 8 9

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
Translate »
बातमी कॉपी करणे हा कायद्याने गुन्हा आहे