अब ग्राम विकास की जगह ग्राम पुनर्जनन करना होगा; क्योंकि, हमने विकास के नाम पर सिर्फ विनाश किया है :- डॉ राजेन्द्र सिंह जी अंतरराष्ट्रीय जलपुरुष
9 दिसंबर 2024 को #स्वराज_विमर्श_यात्रा करौली, राजस्थान से दिल्ली होते हुए नलवाड़ी, गुवाहाटी, असम पहुंची। यहां ग्राम विकास मंच द्वारा सम्मेलन का आयोजन किया गया। इस सम्मेलन में बोरो आदिवासी काउंसिल के अध्यक्ष प्रमोद बोरो, जीवीएम के अध्यक्ष पृथ्वीभूषण डेका और नलबाड़ी, कामरूप, बक्सा, बारपेटा और तामुलपुर जिलों के 1,500 से अधिक प्रतिभागियों ने भाग लिया। यहां जलपुरुष श्री राजेंद्र सिंह जी ने सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि, हमे अब ग्राम विकास की जगह ग्राम पुनर्जनन करना होगा; क्योंकि, हमने विकास के नाम पर सिर्फ विनाश किया है।
उन्होंने आगे कहा कि, प्रकृति की पुनर्जनन से सुख-समृद्धि का कार्य होगा। प्रकृति पुनर्जनन की प्रक्रिया भारतीय समाज के संस्कार और व्यवहार का हिस्सा थी। लेकिन यह तभी तक थी जब तक भारतीयों में विद्या मौजूद थी। जब विद्या समाप्त हुई तो प्रकृति के साथ हमारी दूरियां बढ़ती चली गई। हमारी आस्था, सम्मान, निष्ठा ,भक्ति भाव का संस्कार नष्ट होता गया। इसलिए विद्या को पुनर्जीवित किए बिना हम दुनिया को बेहतर नहीं बना सकते। बेहतर दुनिया बनाने के लिए भारतीय विद्या के ज्ञान तंत्र को पुनर्जीवित करने का प्रयास शुरू करना चाहिए।
यहां को बोरो आदिवासी समुदाय जानता है कि, जब तक आदिवासियों का प्रकृति के लिए प्यार और सम्मान था तब तक प्रकृति हमारी समृद्धि के रास्ते बनी रहती थी। लेकिन अब दूरियां बढ़ गई है। इन दूरियों को कम करने और मूल ज्ञान को पुनर्जीवित करने के लिए असम के युवाओं को आगे आना होगा।
इस कार्यक्रम में नलबाड़ी की उपायुक्त वर्णाली डेका, नाबार्ड के क्षेत्रीय मुख्य महाप्रबंधक लोकेन दास, तेजपुर विश्वविद्यालय के प्रोफेसर चंदन कुमार सरमा और नियोमिया बार्टा के संपादक नरेश कलिता शामिल रहे।
कार्यक्रम के बाद यात्रा भूटान के बॉर्डर पर पहुंची। यहां पानी का बहुत संकट है। यहां के मूल निवासी 3 किलो मीटर तक पैदल चलकर पानी लाते है। असम में एक तरफ तो पानी से बाढ़ आती और कहीं भयंकर सुखाड़ से जूझ रहा है। इसलिए राज-समाज को मिलकर सुखाड़-बाढ़ से मुक्ति के लिए युक्ति ढूढनी होगी।
???? जय गोदामाई जय त्र्यंबकराज जय शुक्राचार्य ????