दिल्ली में आयोजित ‘‘पानी पंचायत’’ में तरुण भारत संघ के जमीनी कार्यों के पांच दशकों पर आधारित “पानी पंचायत“ पुस्तक के पांच अध्यायों का लोकार्पण किया गया

दिल्ली में आयोजित ‘‘पानी पंचायत’’ में तरुण भारत संघ के जमीनी कार्यों के पांच दशकों पर आधारित “पानी पंचायत“ पुस्तक के पांच अध्यायों का लोकार्पण किया गया
दिल्ली में आयोजित ‘‘पानी पंचायत’’ में तरुण भारत संघ के जमीनी कार्यों के पांच दशकों पर आधारित “पानी पंचायत“ पुस्तक के पांच अध्यायों का लोकार्पण किया गया
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तभासं के स्वर्ण जयंती वर्ष अवसर पर हिन्दू कॉलेज सांगानेरिया सभागार, दिल्ली विश्वविद्यालय, दिल्ली में ‘‘पानी पंचायत’’ आयोजन किया गया। इस पंचायत का आयोजन राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर स्मृति न्यास और तरुण भारत संघ द्वारा किया गया, जिसमें देश भर से विद्वानों, पर्यावरणविद्, सामाजिक कार्यकर्ता, विधायक, सांसद, मंत्री आदि ने भाग लिया। इस कार्यक्रम की अध्यक्षता भारत के पूर्व केन्द्रीय मंत्री डॉ मुरली मनोहर जोशी जी ने की।
पानी पंचायत में जलपुरुष राजेंद्र सिंह जी द्वारा लिखित नालंदा प्रकाशन द्वारा प्रकाशित तरुण भारत संघ के पांच दशकों के जमीनी कार्यों पर आधारित “पानी पंचायत“ पुस्तक के पांचों अध्यायों का विमोचन किया गया। इस पुस्तक का विमोचन पूर्व केन्द्रीय मंत्री श्री मुरली मनोहर जोशी जी, उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री श्री भगत सिंह कोश्यारी जी, जलपुरुष राजेन्द्र सिंह जी, जनजातीय राज्य मंत्री श्री दुर्गा दास उइके जी, पूर्व केन्द्रीय मंत्री अश्विनी कुमार चौबे जी, दिल्ली विश्वविद्यालय के डीन प्रो. रंजन त्रिपाठी जी, राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर स्मृति न्यास के अध्यक्ष नीरज कुमार जी, श्याम सहाय द्वारा किया गया।
पूर्व केन्द्रीय मंत्री श्री मुरली मनोहर जोशी जी ने कहा कि, ़हमारी मूल्यसंस्कृति, प्रकृति और संस्कार के अनुसार भारत का पुर्नगठन होना चाहिए। ऋषितुल्य जलपुरुष राजेन्द्र सिंह ने जो समाज की चेतना को जागृत करने का बेड़ा उठाया है, यह अद्भुत उपक्रम है। इसकी महत्ता इसमें है कि, बिना सरकार से पैसे लिए, मनुष्य उद्म से समाज की चेतना जागृत करना, भूमि और जल के प्रति मनुष्य का क्या कृतव्य है, इसको जगाना और भारत ही नहीं पूरे विश्व में ले जाना ऋषि तुल्य कार्य है। इसलिए जल ऋषि के तौर पर इनकी सराहना करता हूं। जैसे हमने महामना मालवीय जी को महामना शब्द का प्रयोग किया, ऐसे ही मेरी दृष्टि में राजेन्द्र सिंह को जल ऋषि शब्द का प्रयोग करता हूं।
आगे कहा कि, हमे यह समझना चाहिए कि, प्रथ्वी जल से आयी है। पृथ्वी और जल का संबंध माता-पुत्र की तरह है। लेकिन यह सत्य लग रहा है कि, आने वाला जो बड़ा युद्ध होगा, वह जल से ही होगा। जल संकट सारे विश्व के लिए सबसे बड़ा संकट है। इस संकट के मध्य में हमारा देश विद्मान है।
जनजातीय राज्य मंत्री श्री दुर्गा दास उइके ने कहा कि, हमारा सौभाग्य है कि, हमने भारत भूमि पर जन्म लिया। फिर जो वैदिक ग्रंथ हमे मिले है, उनसे लघु से विराट बनने की यात्रा की सीख मिली है। इसमें ही प्रकृति का मूल छिपा है। इस मूल को श्रद्धेय राजेन्द्र सिंह जी ने जन चेतना को ‘‘पानी पंचायत’’ के तौर पर प्रस्तुत किया है, इस शुभ कार्य के लिए हमे अभीनंदन करना चाहिए।
जलपुरुष राजेंद्र सिंह ने पुस्तक के बारे में बताते हुए कहा कि, ब्रह्माण्ड का सृजन करने वाला ’पानी’ और उसके पंचपरमेश्वरों की पंचायत प्रक्रिया ही इस पुस्तक में है। इसमें पंचायत को शुरू करने की प्रक्रिया, साध्य, साधन, साधना और सिद्धि को समझ सकते हैं। पानी पंचायत जल संकट से जूझते, उजड़ते लोगों को सचेत और स्वावलंबी बनाने के लिए भारतीय ज्ञानतंत्र को ही मुख्य मानती है। इसमें पंच परमेश्वर सर्वोपरि हैं। पंच परमेश्वर के दिखाए रास्ते पर चलना निरापद माना जाता है। तभासं ने इसी रास्ते का अनुसरण किया है। पानी पंचायत प्रक्रिया में केवल वादी-प्रतिवादी और न्यायमूर्ति के निर्णय ही सभी कुछ नहीं है; यह तो समाज को समग्रता से जोड़कर समता की तरफ बढ़ाने वाली प्रक्रिया है। इस प्रक्रिया में लोगों को स्वयं अपनी समस्या का समाधान खोजना सिखाने का प्रयास किया गया है। देशज ज्ञान से काम करके स्वावलंबी एवं स्वाभिमानी बनकर श्रमनिष्ठा से काम करने की प्रक्रिया पानी पंचायत ने चलाई है। इस प्रक्रिया में समाज के सभी वर्गों को जोड़ा गया है। पानी पंचायत से तभासं ने उजड़े हुए लोगों को पुनः बसाया है। बंदूकधारियों को पानीदार, समझदार, इज्जतदार और सुसम्पन्न बनाया है। उस काम की जानकारी इस पानी पंचायत में है।
पानी पंचायत के पांचों अध्याय पढ़ने पर तभासं की संपूर्ण जानकारी मिलेगी। दूसरी पानी पंचायत के अध्याय में पंचायत में जमीनी अनुभव पढ़ने को मिलेंगे। यह अध्याय तो केवल जल, प्रदूषण, विकास का विस्थापन, बिगाड़ और विनाश से बचाव, भारतीय विद्या द्वारा समाधान खोजने के प्रयास की शुरूआत है। दूसरे अध्याय में समाधान और जमीनी स्तर पर समय सिद्धि से काम हुआ है। प्रकृति को बचाने की प्रत्यक्ष लड़ाई की जीत का अगला अध्याय है। तीसरा अध्याय तभासं और समाज के गंगा-यमुना नदी सत्याग्रह की सफलता को विस्तार देता है। राजस्थान से अपने काम को पूरे देश में जल बिरादरी द्वारा फैलाता है। यह अध्याय सामुदायिक जलाधिकार की लड़ाई में विजय दिलाने वाला रहा है। ‘लावा का वास’ सामुदायिक बाँध से जल स्वराज्य पाने में विजय मिली। नीमी गाँव जल क्रांति की सफलता है। चौथे अध्याय में सरकार व संयुक्त राष्ट्र की नीतियों को लोकोन्मुखी एवं प्रकृति अनुकूल बनवाने की संघर्ष-भरी कहानी है। इस काल में सामुदायिक जल संरक्षण, प्रौद्योगिकी, अभियांत्रिकी और लोक विज्ञान से किए गए तभासं के कार्यों को वर्ष 2015 में ‘स्टॉकहोम वाटर प्राइज’ से सम्मानित किया गया। पाँचवाँ अध्याय तभासं के कार्यों को दुनिया में प्रयोग करके देखना और सफल सिद्ध होने पर उन्हें अपनाना है। यह कार्य विश्व जल शांति यात्रा द्वारा पूरी दुनिया में काम आ रहा है। सुखाड़-बाढ़ विश्व जन आयोग द्वारा तभासं का अनुभव दुनिया में पहुँचा है। विश्व शांति वर्ष 2024 में तीन हजार बागियों को विश्व शांति जल दूत पुरस्कार से सम्मानित करने का अध्याय है। प्राकृतिक शोषण के विरुद्ध एवं जल बाजारीकरण को रोकने के लिए निजीकरण के खिलाफ मोर्चा खोला गया है। पानी पंचायत के निर्णय से तभासं ने अपने काम का रास्ता चुना है।
पूर्व केन्द्रीय मंत्री अश्विनी कुमार चौबे जी ने कहा कि, जलपुरुष राजेन्द्र सिंह जी का लोक विज्ञान और देशज जीवन पद्धति, जीवन मूल्य बन गया है। जीवन को मूल्यवान बनाने में सदैव सभी कुछ स्मरण कराने हेतु महात्मा गांधी, जयप्रकाशनारायण का जीवन संदेश साथ रहता है। मुझे लगता है कि, यह पानी पंचायत पुस्तक पढ़ने से ही पाठक जल के कामों की भी सिद्धि प्राप्त कर सकेगा।
जम्मूकश्मीर की आयुक्त आईएएस रश्मि सिंह जी ने कहा कि, हमने जलपुरुष का काम समझा है;इन्होने जो काम किया है उसकी कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक जरूरत है। जलपुरुष ने इस जरूरत को पूरा करने के लिए गहन श्रमनिष्ठ बनकर साधन और तपस्या करके सूखी मरी नदियों को पुनर्जीवित किया है। इन्होने सबको इस काम को जोड़ा है।
प्रो. मधुलिका बनर्जी और प्रो. सोनाझारिया मिंज ने कहा कि, हमने इनका काम आंखों से देखा, अध्ययन और समझा है। अब यही समयसिद्ध कार्य का अनुभव है जिससे हम जल संकट का समाधान खोज सकते है। यह जलपुरुष प्रत्यक्ष तौर पर करके दिखाया है।
नालंदा प्रकाशन के अध्यक्ष नीरज कुमार जी के कहा कि, यह पानी पंचायत पुस्तक, जल संकट के सवालों का समाधान है। जलपुरुष जी के नेतृत्व में तभासं इस प्रक्रिया को आगे ले जाने वाला साधन मात्र है। तभासं लोक परम्परा में विश्वास रखता है। भारतीय ज्ञान तंत्र तभासं के काम का आधार है। इसलिए पानी पंचायत के निर्णय ही तभासं को रास्ता दिखाते हैं।
पानी पंचायत के अंतिम सत्र में नूह-मेवात, चंबल क्षेत्र धौलपुर, करौली से आए तभासं के कार्यकर्ता और बुन्देलखंड की जल सहेलियों को पूर्व केन्द्रीय मंत्री अश्विनी कुमार चौबे द्वारा जल नायक सम्मान से सम्मानित किया गया।
कार्यक्रम में डॉ इंदिरा खुराना द्वारा लिखित पुस्तक *Climate resilient socioeconomic growth through water conservation* का विमोचन उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री श्री भगत सिंह कोश्यारी जी में किया।
इस कार्यक्रम में प्रो. अशोक कुमार, डॉ जी. अशोक कुमार (आईएएस), डॉ. आर. विश्वास, प्रेमनिवास शर्मा, श्री संजय सिंह, श्री रमेश शर्मा, डॉ. वी.एन. मिश्रा, डॉ. इंदिरा खुराना, कृष्ण गांधी, इलांगो , ईश्वरचन्द्र, अरविंद कुशवाहा, प्रो. पी.के.सिंह, प्रो. वी.के. विजय, श्रीमति शोभा विजेन्द्र , दीपक परवतियार , विक्रांत चौहान, अनिल साठे, डॉ हिमांशु सिंह, संजय राणा, मुकेश एंगल, अनिल शर्मा, अजय तिवारी, नेहपाल सिंह, राजा रंजन, राहुल सिंह, रणवीर सिंह, छोटेलाल मीणा , पारस प्रताप सिंह आदि ने भी अपने विचारों को प्रस्तुत किया। इस कार्यक्रम में महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश, पंजाब, जम्मूकश्मीर, तमिलनाडु, हरियाणा, दिल्ली , राजस्थान आदि राज्यों से 500 से अधिक लोगों ने साझेदारी निभायी।
सादर
पारस प्रताप सिंह
मां- 9009739338
जय गोदामाई जय त्र्यंबकराज जय शुक्राचार्य