आगरा के लिए शर्म की बात, पानी उपलब्ध होने के बाद भी, बाहर से पानी मंगाना पड़ रहा है :- डॉ राजेन्द्र सिंह (पाणीवाले बाबा )
आगरा के लिए शर्म की बात, पानी उपलब्ध होने के बाद भी, बाहर से पानी मंगाना पड़ रहा है :- डॉ राजेन्द्र सिंह (पाणीवाले बाबा )
आगरा पानी पंचायत
—-
दिनांक 18 सितंबर 2024 को सिविल सोसाइटी ऑफ़ आगरा और सेंट ज़ेवियर इंटरनेशनल स्कूल आगरा में पानी पंचायत का आयोजन किया गया। *पानी पंचायत को संबोधित करते हुए जलपुरुष राजेन्द्र सिंह जी ने कहा कि, आगरा के जल स्रोतों को चिन्हित कर जलसंचय की प्रभावी योजना बनानी होगी। आगरा में भरपूर्ण जल उपलब्ध है लेकिन कुप्रबंधन के कारण यहां जल का संकट गहरा रहा है। अभी समय है जब राज, समाज और संत मिलकर आगरा को पानी का सही से प्रबंधन करके जल संकट से मुक्ति की युक्ति ढूंढ सकते है।*
जलपुरुष राजेन्द्र सिंह जी ने बच्चों के प्रयासों की प्रशंसा की ,कहा कि बच्चे जल संकट के प्रति जागरूक है और समस्या को उठाने के साथ ही समाधान भी सुझा रहे हैं।उनकी बात शासन,प्रशासन और जनप्रतिनिधियों तक जहां-जहां संभव होगा जरूर पहुंचना चाहिए। साफ पानी में गन्दा पानी नहीं मिलने देना। यमुना को साफ रखना होगा, पानी को ट्रीट करके ही यमुना में डालना होगा।
छात्र एवं युवा वक्ताओं ने पंचायत में अपने विचार रखते हुए कहा कि, आगरा के लिए जल प्रबंधन महत्वपूर्ण है। हर साल मानसून के दौरान, आगरा में भरपूर पानी उपलब्ध होता है। लेकिन व्यवस्थित तरीके से इसका संचय करने की व्यवस्थित प्रणाली अब तक नहीं बनायी जा सकी है। अब जब कि जल संकट और अधिक बढ़ गया है,भूगर्भ जल तेजी के साथ हो रही गिरावट थामी नहीं जा रही है,तो प्रभावी एवं व्यवहारिक कदमों को तत्काल उठाए जाने की जरूरत है।
पानी पंचायत ने निर्णय लिए कि, आगरा के चारों तरफ जल सरंचनाओं को पुनः विकसित किया जाये और हरा बनाया जाये.। उटांगन और खारी नदियों की बदहाली बंद हो। उप्र सरकार राजस्थान सरकार से वार्ता कर उ प्र का भाग सुनिश्चित करवाये। बारिश सामान्य होने पर राजस्थान ने अंतरराज्यीय जल बंटवारा नीति की अनदेखी करते हुए इन नदियों का पूरा पानी रोक देता है। वहीं भारी मानसून पर इन नदियों पर बने अपने बांधों को खोल देता है। जिससे जनपद के सीमांत एवं नदी तटीय गांवों में जलमग्नता की स्थिति उत्पन्न हो जाती है। महानगर के पुराने तालाबों को पुनर्जीवित किया जाये। शास्त्रीपुरम जलाशय योजना का क्रियान्वयन करवाया जाये। यह जलाशय योजना सिकंदरा राजवाह के उस बीस क्यूसेक पानी की उपलब्धता पर आधारित है, जिसे कि सिंचाई विभाग नाला जखीरा में होकर डिस्चार्ज करता है। –भूजल दोहन नीति से समस्याये बढी बच्चों की राय से सहमत पंचों में से अधिकांश ने चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि उ प्र शासन के द्वारा जो भूजल दोहन नीति बनाई हुई है, उसके कारण नागरिकों की परेशानी और बढ गई है। नई बोरिंगों को लगाये जाने की अनुमति की संभावनाएं बिल्कुल खत्म सी हो गई है। अब आगरा में खाती के अलाव कारखाने,विपणन परिसरों तक के लिए पंप सेट नहीं लगवाये जा सकते। –वैट लैंड नहीं तालाब बनाये बच्चों का मानना था कि आगरा शहर में मानसून के दौरान भरपूर पानी होता है, इसे तालाब बनाकर बचाने की जरूरत है, न कि जलाशयों की क्षमता कम करने वाले वेटलैंड घोषित करते रहने की।
इस पानी पंचायत में अनिल शर्मा और होली पब्लिक स्कूल, 2. दिल्ली पब्लिक स्कूल इंटरनेशनल, 3.डॉ रॉय पब्लिक स्कूल, 4. एक पहेल स्कूल, 5. भारतीय विध्या मंदिर स्कूल, 6. सेंट मार्क्स स्कूल, 7. सेंट जेवियर्स इंटरनेशनल स्कूल के बच्चे और शिक्षक शामिल रहे।