हमें पानीदार बनने के लिए, खुद पानी का काम करके दिखाना होगा :- डॉ. राजेंद्रजी सिंह जलपुरुष
हमें पानीदार बनने के लिए, खुद पानी का काम करके दिखाना होगा :- डॉ. राजेंद्रजी सिंह जलपुरुष
स्थान- स्वीडन
दिनांक 30 और 31 अगस्त 2024 को जलपुरुष राजेन्द्र सिंह जी की स्वीडन के सिस्टा क्षेत्र में अलग-अलग समुदायों के साथ अलग-अलग बैठकें हुई। इन बैठकों में पानी के संकट से जूझ रहे हैं सोमालिया, केन्या, बलूचिस्तान, पाकिस्तान, अफगानिस्तान, इथोपिया आदि देशों के विस्थापित लोग शामिल हुए। स्वीडन में विस्थापितों के लिए मदद कर रहे संगठनों के प्रतिनिधि मौजूद रहे। यहां स्वीडन, ग्रीन पार्टी के बड़े नेता श्री शाहिद हमजी और उनकी पत्नी राहिना के साथ भी जलपुरुष जी की बैठक हुई।
इन बैठकों में सभी ने अपने-अपने देश में मौजूद जल संकट पर अपनी बातें रखी। सभी की बातें सुनकर जलपुरुष जी ने कहा कि, जल संकट का समाधान किसी भी सरकार के बसकी बात नहीं है; जब तक की इस काम में समाज का सरकार को सहयोग नहीं होगा। जो लोग सरकार से पानी पिलाने की आशाएं रखते हैं; उनके जीवन में समस्याएं बढ़ती जाती है। आधुनिक समस्याओं के बढ़ने से नागरिकों का जीवन और कष्टमय होता जाता है; जबकि सरकार अपने आप को बचा लेती है। इसलिए लोकतांत्रिक और कल्याणकारी कहलानी वाली सरकारें भी सबको पानी नहीं पिला सकती और ना ही सबकी जरूरतों को पूरी कर सकती है।
जिनके देश में भरपूर्ण पानी है; उस देश की सरकार अपने नागरिकों को पानी पिला सकती हैं जैसे स्वीडन। स्वीडन देश के पास बहुत पानी और पैसा भी है। जिनके पास पैसा और पानी है और वहां की आबादी कम है, इसलिए सरकारें जनता को पानी पिला सकती हैं। ऐसों देशों की सरकारे अपनी आबादी को भी ऐसी जगह बसाती है, जहां पानी पर्याप्त मात्रा में होता है। लेकिन सबदेशों में ऐसा नहीं हो सकता। बहुत सारे ऐसे देश है, जहां शहर-गांव , उद्योग और खेती के बीच पानी की लड़ाई जारी हैं। ये पानी की लड़ाइयां लगातार बढ़ती जा रही है। यदि इन समस्याओं का समाधान करना है तो जिस तरह से राजस्थान भारत में तरुण भारत संघ ने सामुदायिक विकेन्द्रित जल प्रबंधन करके, जल संकट से मुक्ति दिलाई, वैसे काम करने की जरूरत है। ऐसे काम ही समाज और सरकार की जिम्मेदारी व हकदारी को सुनिश्चित करते है।
इन बैठकों के उपरांत जलपुरुष जी ने अमेरिकन वैज्ञानिक जैक और अमित शर्मा, भारत द्वारा बनाई गई चंबल के डाकुओं को खेती में लगाने की फिल्म दिखाई और सुनाई। यह फिल्में देखकर, उपस्थित लोग बहुत आनंदित हुए और जलपुरुष जी से बहुत सारे सवाल जवाब किए। इन सारे सवाल का जवाब देते हुए जलपुरुष जी ने कहा कि, जहां-जहां दुनिया में पानी के काम करने का एहसास हो जाता, वह देश पानी का काम करके पानीदार बन गए। जहां के लोग इस गलतफहमी में रहे कि, सरकार उनको पानी पिलाएगी; वहां उनको पानी नहीं मिल रहा।
हमें पानीदार बनने के लिए, खुद पानी का काम करके दिखाना होगा। ऐसे काम तभी शुरू होगें, जब समाज अपनी जिम्मेदारी को ठीक से समझने लगता है। जिस तरह से स्वीडन में सोमालिया से आए हसन, केन्या से आए मुस्तफा ,बलूचिस्तान, अफगानिस्तान, ईरान आदि देशों से जो लोग आए हैं , वह अपनी जिम्मेदारी और हकदारी को ठीक से समझ ले, तो बेपानी नहीं होंगे।
यहां बहुत से लोगों का कहना था कि, कुछ जगह पैसा ज्यादा है और कुछ जगह पानी ज्यादा है। यह गलत आंकड़ों का खेल है ,वास्तिविकता यह है कि, जहां पानी होता है, वहीं समृद्धि, शांति और पैसा भी होता है।
#watermanrajendrasingh #watermanofindia #water #sweden #India #Maharashtra #Rajasthan #Nashik #kopargaon