आओ नदी को जाने पांच दिवसीय शिबीर की समापन हुआ हैं

आओ नदी को जाने पांच दिवसीय शिबीर की समापन हुआ हैं
आओ नदी को जाने पांच दिवसीय शिबीर की समापन हुआ हैं
Tarun Bharat Sangh(तरुण आश्रम) भीकमपुरा में 17 जनवरी से चल रहे पांच दिवसीय ‘आओ नदी को जाने’ शैक्षणिक शिविर का 22 जनवरी को समापन हुआ। इस शिविर में Anant National University अहमदाबाद गुजरात के 43 विद्यार्थियों , प्रोफेसर, दिल्ली के पत्रकारों ने भाग लिया। इस दौरान प्रतिभागियों ने तभासं के अध्यक्ष जलपुरुष राजेन्द्र सिंह के मागदर्शन में नदी पुनर्जीवन-जल संरक्षण कार्य को समझा। प्रतिभागियों ने तभासं द्वारा सरसा, तिलदह-भगाणी, जहाजवाली नदियों के गांव गोपालपुरा, हमीरपुर, कालैड़, मंडलवास, देवरी, लोशल गांवों का शैक्षणिक भ्रमण करके जल संरक्षण व नदी पुनर्जीवन के कार्य को ग्रामवासियों से वार्ता करके व जल संरचनाओं को देखकर समझा-जाना। इन्होनें तरुण आश्रम की जलप्रयोगशाला में जल-मिट्टी संरक्षण की विधियों को समझा।
जलपुरुष राजेन्द्र सिंह ने प्रत्यक्ष तौर पर प्रतिभागियों को मार्गदर्शन करके, उनसे से धरती पर जोहड़ , चैकडैम, डैम, भू-सांस्कृतिक मानचित्र बनवाए। प्रतिभागियों ने भी जल संरक्षण से संबंधित चि़त्रण-फिल्म बनाकर अपने-अपने विजिट के दौरान हुए अनुभवों को बातया। जलपुरुष राजेन्द्र सिंह ने जल संरक्षण ‘नदी पुनर्जीवन के अपने 50 वर्षों के अनुभवों को रखते हुए बताया कि, नदी केवल पानी का बहता हुआ प्रवाह मात्र नहीं है; नदी अपने साथ मानवीय सभ्यता, संस्कृति, आकांक्षाएं को लेकर बहती है। नदी सांस लेने व प्रजनन करने वाली एक जीवंत प्राण है। नदी को उसकी जैवविविधता, विभिन्न आयामों, नदी के भीतर समाए अन्न-चक्र सू़त्रों के साथ समझना पड़ता है। लेकिन हमारी समझा- संबंध कमजोर है; इसलिए नदी के प्रति हमारा व्यवहार भक्ति, निष्ठा, विश्वास से परिपूर्ण प्रयोगात्मक और निसर्गानुकूल होना चाहिए। नदी के संवर्धन के साथ ही साथ हमें उस नदी की जैवविविधता को समझना और उनका संवर्धन करना भी आवश्यक है। हम विश्वास करते है कि, आप सभी यहां से सीखकर अपने अपने क्षेत्रों में प्रकृति के पोषण का कार्य करेंगे।
सीमांत सेंगर ने जल संरक्षण विधि का मॉडल बनाकर, विद्यार्थियों के सामने प्रस्तुत किया।
विद्यार्थियों ने तभासं का आभार प्रकट करते हुए संकल्प लिया कि, ‘‘हम यहां से सीखकर अपने-अपने क्षेत्रों में जल को प्राथमिकता में रखकर काम करेंगे।’’ तभासं ने जल की पुस्तकें व बैग देकर प्रतिभागियों का सम्मान किया।
सभी ने अंत में जलपुरुष राजेन्द्र सिंह का दिया हुआ स्लोगन नीर-नारी-नदी नारायण, नारायण, नारायण, नारायण लागकर समापन किया गया।
इस शिविर में तभासं के वरिष्ठ कार्यकर्ता गोपाल सिंह, सुरेश रैकवार, पारस प्रताप सिंह ने प्रतिभागियों को मार्गदर्शन व अध्ययन कराया। शिविर में अनंत विश्वविद्याल की प्रो. जास्मीन गोहिल, रूची कोठारी, रोशनी बैश, आयुषी मोतीवाला, पुनीत कुमार, राहुल तिवारी,चित्रा, विधि, शुभ आदि उपस्थित रहे।
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