Breaking
ब्रेकिंग

महानदी गंभीर संकट से जूझ रही है :- डॉ राजेन्द्र सिंह जी अंतरराष्ट्रीय जलपुरुष

0 0 4 7 6 2

महानदी गंभीर संकट से जूझ रही है :- डॉ राजेन्द्र सिंह जी अंतरराष्ट्रीय जलपुरुष

ओडिशा पर्यावरण कांग्रेस सम्मेलन, भुवनेश्वर, ओडिशा

19 दिसंबर 2024 को स्वराज विमर्श यात्रा दिल्ली से भुवनेश्वर, उड़ीसा पहुंची। भुवनेश्वर के बुद्ध मंदिर में महानदी जल विवाद और जल संकट पर प्रेस कांफ्रेस का आयोजन किया गया। कांफ्रेस को संबोधित करते हुए जलपुरुष ने कहा कि, महानदी गंभीर संकट से जूझ रही है। छत्तीसगढ़ में जहां नदी का पानी प्रचुर है, वहीं ओडिशा में इसका प्रवाह सूख गया है। एक प्रकार से नदी का तल रेगिस्तान बन जाता है। पड़ोसी राज्य छत्तीसगढ़ में एकल बैराज के निर्माण के कारण, नीचे की ओर ओडिशा बेसिन सूख गया है। चूंकि दिल्ली, ओडिशा और छत्तीसगढ़ में एक ही पार्टी की सरकारें हैं, इसलिए ट्रिपल इंजन सरकार को मिल बैठकर नदी जल विवाद का तुरंत समाधान करना चाहिए। क्योंकि समस्या का राजनीतिक समाधान न्यायाधिकरण की तुलना में जल्द से जल्द हल किया जा सकता है।
आगे कहा कि, ओडिशा सरकार को सबसे पहले अपने राज्य में नदी नीति लानी चाहिए। नदी बेसिन को अतिक्रमण मुक्त, प्रदूषण मुक्त किया जाना चाहिए और शहर को प्रदूषित पानी नदी में नहीं छोड़ना चाहिए।
कांफ्रेस में मौजूद महानदी बचाओ आंदोलन के सुदर्शन दास ने कहा, महानदी बचाओ आंदोलन को ग्रामीण इलाकों से फिर दिल्ली तक ले जाने का प्रयास कर रहे है। जनवरी के अंतिम सप्ताह तक राज्य स्तरीय नदी सम्मेलन और फरवरी में राष्ट्रीय स्तर की चर्चा बैठक आयोजित की जाएगी। अभी महानदी पर गंभीर संकट है। औद्योगिक कंपनियाँ बैतरणी नदी से पानी ले रही हैं और लौह अयस्क को काइलिंगनगर और पारद्वीप तक पहुँचा रही हैं। े नुआनानी, मेलिनाडी और गंगुआ नदी घाटियों को अतिक्रमण मुक्त कराने की मांग की. इस सम्मेलन में यूटा विश्वविद्यालय के पूर्व चांसलर डॉ. विनायक रथ, पूर्व विधायक उमाबल्लब रथ, रेवेंस के पूर्व अध्यक्ष अजय मिश्रा, महानदी बांचओ आंदोलन के प्रवक्ता प्रसन्ना बिशोय प्रमुख रूप से उपस्थित थे।

20 दिसंबर 2024 को यात्रा ब्रह्मपुर विश्वविद्यालय पहुंची। यहां विश्वविद्यालय के न्यू कॉन्फ्रेंस हॉल में 15वें ओडिशा पर्यावरण कांग्रेस सम्मेलन का आयोजन किया गया। जिसमें 150 से अधिक वरिष्ठ पर्यावरणविदों और शोधकर्ताओं ने भाग लिया और पर्यावरण संबंधी मुद्दों पर चर्चा की।
सम्मेलन के मुख्य अतिथि के तौर पर संबोधित करते हुए जलपुरुष जी ने कहा कि, जलवायु, जंगल, पर्यावरण और पानी को जहरीला बनाया जा रहा है, जिससे जलवायु परिवर्तन का गंभीर संकट लगातार बढ़ रहा है। ऐसे में विश्वविद्यालय के शिक्षकों और विद्यार्थीयों की भी जिम्मेदारी है कि, पर्यावरण संरक्षण और सुरक्षा के लिए आगे आएं और अपने कार्यों से प्रकृति का संरक्षण करें।
सम्मेलन में विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो दास ने अपने भाषण में कहा कि, छात्रों को शोध के माध्यम से जागरूक होना चाहिए और ऐसे सेमिनार के माध्यम से पर्यावरण के प्रति जागरूकता दिखानी चाहिए।
सम्मेलन में यूटा विश्वविद्यालय के प्राणीशास्त्र के प्रोफेसर प्रो बिनायक रथ ओआईसी के आयोजक गीतांजलि सुदर्शन दास, ओआईसी के संपादक डॉ. बाबू अमृत और दक्षिण ओडिशा वन्नयन फोरम के अध्यक्ष भृगु परिपात्र, केंद्रीय विश्वविद्यालय के प्रोफेसर एसके पालित, वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. चंद्र मोहन, सेवानिवृत्त प्रशासक, ओआईसी के अधिकारी और कार्यवाहक अध्यक्ष अरविंद केहरा मंचासीन थे।

बातमी बद्दल आपला अभिप्राय नोंदवा

गोदावरी शुक्राचार्य

बातमी शेअर करण्यासाठी येथे क्लिक करा
0 0 4 7 6 3

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
Translate »
बातमी कॉपी करणे हा कायद्याने गुन्हा आहे