पृथ्वी पर शांति जल से ही संभव है :- डॉ राजेन्द्र सिंह जी जलपुरुष

पृथ्वी पर शांति जल से ही संभव है :- डॉ राजेन्द्र सिंह जी –
स्वराज विमर्श यात्रा 2025
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पृथ्वी पर शांति जल से ही संभव है :- डॉ राजेन्द्र सिंह जी
स्थान- सहारा स्टार होटल, मुम्बई महाराष्ट्र
31 जनवरी 2025 को स्वराज विमर्श यात्रा विशाखापट्टनम आंध्रप्रदेश से मुंबई पहुंची। यहां के सहारा स्टार होटल में अंबा फाउंडेशन द्वारा होस कॉन्क्लेव का आयोजन किया गया। यह सम्मेलन ‘जैसा तन-वैसा मन, जैसा अन्न- वैसा तन’ भारतीय आर्युवेद के अनुसार स्वस्थ को ठीक रखने के विषय पर आयोजित हुआ। जिसमें जलपुरुष श्री राजेंद्र सिंह जी, श्री सुभाष पालेकर जी को वक्ता के तौर पर आमंत्रित किया गया। सम्मेलन में देशभर से 2 हजार से ज्यादा लोगों ने भाग लिया।
यहां जलपुरुष श्री राजेंद्र सिंह जी ने कहा कि, ब्राह्यंड पर सबसे पहले जल निर्माण की घटना घटित हुई थी। यह आग के गोले के समान था, जिसमे ऑक्सीजन और हाइड्रोजन दोनों अणुओं के मिलने से एक महाविस्फोट हुआ। तब यहां न समय का पता था, ना ही भौतिक सिद्धांत का। इस घटना से जल का निर्माण हुआ और धीरे-धीरे जल के ब्रह्मांड से नदियां, समुद्र, धरती, निर्मित होते गए। जल की मिट्टी के साथ संक्रियाएं करने से जीवन का निर्माण हुआ है। जीवन का निर्माण जल का मिट्टी के साथ योग करने से हुआ।
यहां हमें यह समझने की अत्यंत आवश्यकता है कि, हम दुनिया को यदि स्वस्थ रखना चाहते है तो सबसे पहले जल को स्वस्थ रखने की चिंता करनी होगी। जल स्वस्थ होगा तो वायु भी स्वस्थ होगी। वायु और जल का स्वास्थ्य ठीक होगा तो जीव जगत का स्वस्थ ठीक होगा। आज मानव के स्वास्थ्य को बिगड़ने का सबसे बड़ा कारण जल प्रदूषण है। जल से जलवायु परिवर्तन , प्रदूषण होता है और जलवायु प्रदूषण से फिर पूरा जीव जगत प्रदूषित होकर बीमार, दुखी होता है।
आगे कहा कि, हमें इस पृथ्वी पर शांति कायम करनी है तो वह जल से ही संभव है। जल से स्वास्थ्य को ठीक रखने की कोशिश करनी चाहिए। हमने 50 वर्ष पहले डौला, बागपत गांव में गुसाई वाला जोहड,़ बनाकर बाढ़ को रोका था। अब डौला गांव बाढ़ मुक्त है। इसके बाद जयपुर और जयपुर से गोपालपुरा, अलवर गांव में काम करके आज तरुण भारत संघ और मैं जलमय हो गए। हम तब से लेकर अब तक जल के अलावा कोई दूसरा काम नहीं करते। जल के काम के साथ-साथ हमने प्रकृति का रक्षण, संरक्षण और संवर्धन के सारे काम किए हैं। हम प्रयास कर रहे हैं कि, हमारी खेती और जीवन प्राकृतिक हो। हमारे जीवन में प्रकृति के प्रति प्रेम, सम्मान बढें और हम प्रकृति के साथ अपने जीवन को जोड़कर देखें। हमारा और प्रकृति का साझा समाधान है। हम अपना समाधान चाहते हैं तो प्रकृति का समाधान करना ही होगा। इसलिए हम खुद को स्वस्थ रहने के लिए जीवन को शांतिमय प्रेममय समृद्ध बनाएं।
हमने जब चंबल में काम शुरू किया था, तब वहां बहुत भयानक संकट था। यहां पानी के काम ने बिना लोग बंदूक लिए घूमते थे, चारों तरफ के गांवों में बंदूक खनकती थी। जल आने से उत्सव, आरती, दिखावे के बिना 3.5 हजार डाकुओं ने अपनी बंदूके छोड़कर, खेती के काम करने लगे हैं। यह सजीव प्राकृतिक खेती का आनंद ले रहे। इस आनंद से जैसा हमारा अन्न होता है, उसी से हमारा तन बन जाता है और जैसा हमारा तन बनता है, वैसा ही हमारा मन बन जाता है। अन्न के स्वास्थ्य को ठीक रखने के लिए जल का स्वस्थ होना सबसे ज्यादा जरूरी है।
जलपुरुष जी ने गीता और अर्थवदेव के अनुसार जल और पृथ्वी की व्यवख्या करते हुए तरुण भारत संघ के पिछले 50 सालों में किए गए कामों की प्रस्तुति की। प्रस्तुति पूरी होने पर सभी लोगों ने ताली बजाई।
इस कार्यक्रम के संयोजक श्री हर्ष शेट्टी जी, जलपुरुष राजेन्द्र सिंह जी की बात सुनकर बहुत आनंदित हुए। कहा कि, यदि अपने स्वास्थ्य को ठीक रखना है तो हमें प्रकृति का रक्षण-संरक्षण करना ही होगा। प्रकृति के रक्षण-संरक्षण के बिना ना आपका स्वास्थ्य, ना जल और ना ही अन्न स्वस्थ रह सकता है।
अंत में जलपुरुष जी ने सभी को बधाई दी और हर्ष सेट्टी को बधाई देते हुए कहा कि, प्रकृति की अपना मानकर ,अपने भगवान को पहचाने। आपके द्वारा यह बहुत ही प्रकृतिमय सादगी पूर्ण जो चिंतन शुरू हुआ है यह बहुत शुभ लक्षण है। जो हमारा शिक्षित समाज अपने को शिक्षित कहता है, वही सबसे ज्यादा प्रदूषित कर रहा है। मुंबई का समाज जो पांच नदियों का शहर था,आज उसमें एक नदी नहीं बची, पांचों नदी नाले बन गए हैं। इसलिए शिक्षित समाज को अब यह देखना होगा कि, उनकी शिक्षा से क्या बिगड़ रहा है? पहले भारत को विद्या ने दुनिया का गुरु बनाकर रखा था। भारत विद्या से दुनिया का गुरु बना था; इसलिए हम भारतीय लोग अपनी विद्या को दोबारा से शिक्षा के स्थान से ऊपर लेकर आएं। शिक्षा और विद्या का जोड़ हो सकता है, हम उन दोनों को जोड़कर, एक नई दुनिया और नई दुनिया का गुरु भारत को बना सकते हैं।
1 और 2 फरवरी को यात्रा जल सहेलियों के यात्रा शुभारंभ अवसर पर ओरछा मे ंरहेगी।
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