हम स्वतंत्र, संयमी स्वाभिमान के साथ अपना जीवन जिएं यही स्वराज है :- डॉ राजेन्द्र सिंह जी अंतरराष्ट्रीय जलपुरुष

हम स्वतंत्र, संयमी स्वाभिमान के साथ अपना जीवन जिएं यही स्वराज है :- डॉ राजेन्द्र सिंह जी अंतरराष्ट्रीय जलपुरुष
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स्थान – विश्व ग्राम मेहसाना, गुजरात और राजस्थान विद्यापीठ डबोक, उदयपुर, राजस्थान
1 अक्टूबर 2024 को जलपुरुष राजेन्द्र सिंह जी दिल्ली से मेहसाना, गुजरात पहुँचे। यहाँ ओंझा में विश्व ग्राम द्वारा गांधी विचार की संस्थाओं और कार्यकर्ताओं के सम्मेलन का आयोजन किया गया। सम्मेलन को संबोधित करते हुए जलपुरुष राजेन्द्र सिंह जी ने कहा कि, तरुण भारत संघ ने 50 वर्षो में जो काम किए है, वह प्रकृति से सीखकर, समुदायों द्वारा प्रकृति के लिए किया है। ये चेतना और सामाजिक समझ से ही संभव हुआ है। इस काम में समाज का जुड़ाव तभी होता है, जब उनको विश्वास हो जाता है कि, इस काम में अपना हित और शुभ है।
तरुण भारत संघ ने कभी भी अपनी तरफ से बिना समुदाय के आगे बढ़कर कोई काम नहीं किया। जनता व समाज ने जो भी कार्य तरुण भारत संघ से करवाया, वह किया। सब जानते है कि, तरुण भारत संघ का काम सेवा और राहत के कार्यों से शुरू हुआ था। उसके बाद जल संरचनाओं का निर्माण करके, जल संरक्षण करने लगा।
जब अरावली पर्वत माला में अवैध खनन के कारण लोगों के कुएं सूख गए थे, तब तरुण भारत संघ ने खनन के खिलाफ लोगों का संगठन, बनाकर सत्याग्रह शुरू किया। माननीय उच्चतम न्यायालय में लड़ाई लड़कर खनन बंद करवाया।
आगे कहा कि, तरुण भारत संघ को अपने काम की सीख महात्मा गांधी से मिली है। महात्मा गांधी सेवा, रचना, संगठन और सत्याग्रह; ये चार कदम क्रांति के मानते थे। इन चार कदमों पर चलकर, प्रकृति में प्रेम का निर्माण करके, समाज समृद्ध बनता है। समाज की समृद्धि यह भौतिक-औद्योगिक क्रांति से नहीं आती; समाज में समृद्धि की राह, प्रकृति की समृद्धि की राह से आती है। इसी समृद्धि का काम तरुण भारत संघ पिछले 50 वर्षों से कर रहा है।
हमारी समृद्धि, संस्थाओं और संगठनों की समृद्धि सब कुछ प्रकृति की समृद्धि के साथ ही जुड़ी है। जब प्रकृति समृद्धि होती है, तभी समाज समृद्ध होता है। इसलिए प्राकृतिक समृद्धि को अपनी समृद्धि मानकर आगे बढ़े। आगे बढ़ने का सही रास्ता अपनी वृत्ति को जानना और पहचाना है। जब हम अपनी वृत्ति को जानने और पहचानने लगते हैं, तब हम समृद्धि का रास्ता पकड़ लेते है।
इस बैठक में जलपुरुष जी कहा कि, आज समाज में व्याप्त निराशा और भय के वातावरण को दूर करना होगा। डर हमारे लालच से आता है, इसलिए अपने जीवन में लालच मुक्त होकर काम करना होगा, तभी हम निर्भय होकर अनुशासन से काम कर पायेंगे। जब हमारी आत्मिक ऊर्जा प्रकृति के साथ जुड़ जाती है, तब हम आध्यात्मिक पुरषत्व को पा जाते है।
महात्म गांधी, जयंती की पूर्व संध्या पर ओंझा में बोलते हुए जलपुरुष राजेन्द्र सिंह ने कहा कि, तरुण भारत संघ ने गांधी से सीख लेकर अपना काम किया है। गांधी जी एक वैश्विक आध्यात्मिक और सामाजिक शक्ति थी। इसी ने उन्हें दुनिया का प्रेरणादायक परिवर्तन का पात्र बनाया था। प्रेरणादायी परिवर्तन के पात्र बापू महात्मा गांधी ने पूरी दुनिया को एक सूत्र में बांधकर, भारत के समाज को निर्भय बनाया और अंग्रेजों के अन्याय – अत्याचार के खिलाफ लड़ने के लिए तैयार किया था। आज वो हमारे बीच होते तो पानी के व्यापार के खिलाफ काम करने के लिए हमें संगठित करते ।
जलपुरुष राजेंद्र सिंह जी ने अंत में कहा कि गुजरात की अब ज्यादा जिम्मेदारी बनती है कि, महात्मा गांधी के विचारों को आगे बढ़ाये। एक जमाने में गुजरात ने भारत को आजादी दिलाने वाले नेतृत्व को सर्जित किया था। जिस रास्ते से हमने आजादी पायी थी, आज उसी रास्ते के विपरीत वातावरण बन हुआ है। अब गुजरात आर्थिक लाभ के लिए ही सब जगह सक्रिय दिखता है; जबकि आर्थिक लाभ सब कुछ नहीं होता। हमें शुभ के लिए काम करना होगा। गुजरात शुभ कर्म की चेतना जगाए तो हम सब पुनः गुरु बन सकते हैं । गांधी हमें गुरु बनने के रास्ते पर आगे बढ़ा रहा थे। आइए हम सब मिलकर बापू से सीखे और निर्भय होकर सत्य और अहिंसा के मार्ग पर चले।
इस बैठक के अंत में तरुण भारत संघ कार्य प्रभावों पर बनी फ़िल्म ‘वॉटर एंड पीस’ को दिखाई गई। सभी लोगों ने यह फिल्म देखकर कहा कि, भारत ही ऐसा देश है, जो प्राकृतिक समृद्धि और प्रकृति को अभी भी सम्मान करता है। इसलिए हम इसी सम्मान के रास्ते पर आगे बढ़े।
इस बैठक का संयोजन संजय तुला ने किया था। जिसमें गुजरात की गांधियन संस्थाओं, शिक्षकों, सामाजिक कार्यकर्ता और विद्यार्थियों ने भाग लिया।
2 अक्टूबर 2024 को लाल बहादुर शास्त्री और महात्मा गांधी जयंती के अवसर पर यात्रा उदयपुर, राजस्थान रही। यहाँ राजस्थान विद्यापीठ, डबोक में विद्यार्थियों व शिक्षकों को संबोधित करते हुए जलपुरुष राजेन्द्र सिंह जी ने कहा कि, स्वराज का मतलब है ‘संयम से अनुशासित होकर जीवन जीना।’ ये वैदिक काल के स्वराज का अर्थ है। महात्मा गांधी का स्मरण करते ही ‘स्वराज’ शब्द का स्मरण होता है। महात्मा गांधी ने स्वराज शब्द की व्याख्या ज्यादा गहराई से की है। उन्होनें कहा है कि, हम संयम से रहे पर किसी राज के अधीन सदैव ना रहे। हम स्वतंत्र, संयमी स्वाभिमान के साथ अपना जीवन जिएं, यही स्वराज है ।
आगे बताया कि, पहली बार स्वराज शब्द व्यवहार में मेवाड़ भूमि से जन्मा था; जब महाराणा प्रताप ने अपने समाज को स्वराज का नारा देकर खड़ा किया और मुगलों के विरुद्ध लड़ाई लड़ी व जीते थे। मेवाड़, शिवाजी महाराज के पुरखों की जगह भी है। इसलिए स्वराज की गूंज मेवाड़ की भूमि से मिलती है और फिर लोकमान्य तिलक ने “स्वराज मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है“ कहते हैं। लोकमान्य तिलक स्वराज अंग्रेजों से मांगते है, जबकि महात्मा गांधी स्वराज के लिए अपने जीवन में त्याग, तपस्या, साधना, संयम से सबके भले के लिए देने का विचार रखते हैं।
आज मेवाड़ की भूमि से “स्वराज विमर्श यात्रा“ का शुभारंभ राजस्थान विद्यापीठ, डबोक के कुलपति श्री शिव सिंह सारंग देवोत ने जलपुरुष राजेंद्र सिंह जी के नेतृत्व में किया। इस यात्रा का शुभारंभ करते हुए कुलपति शिव सिंह सारंग देवोत जी ने कहा कि, यात्राएं शिक्षण – प्रशिक्षण का सबसे अच्छा माध्यम है। यात्रा विश्वविद्यालय, मेवाड़ की भूमि से आरंभ हो रही है, जिसका हमें गौरव है। हम इस यात्रा में जगह – जगह जुड़ेंगे। विश्वविद्यालय के विद्यार्थी और शिक्षक भी इस यात्रा के हिस्से बनेंगे। हम इस यात्रा को अपनी यात्रा मानते हैं।
इस अवसर पर जयेश जोशी ने कहा कि, हम इस यात्रा को बांसवाड़ा, डूंगरपुर , उदयपुर, मध्य प्रदेश और गुजरात के आदिवासी क्षेत्रों में लेकर जाएेंगे। हमारा आदिवासी एकता मंच इस यात्रा के साथ जुड़ेगा। आदिवासी एकता मंच का लक्ष्य स्वराज है। इस यात्रा से हमारे आदिवासी भाइयों और बहनों को सीख मिलेगी। स्वावलंबन के कामों को जल पुरुष से सीख कर और तेजी से आगे बढ़ा सकते हैं।
जलपुरुष ने इस यात्रा के शुभारंभ अवसर पर कहा कि, यह तरुण भारत संघ के 50 सालों के अनुभवों की विमर्श यात्रा है, जो किसी निष्कर्ष पर पहुंचेगी । इस आशा और उम्मीद के साथ स्वराज यात्रा महाराणा प्रताप की नगरी उदयपुर के राजस्थान विद्यापीठ से आरंभ कर रहे हैं। ये यात्रा परिक्रमा की तरह नहीं बल्कि यात्रा को जहां-जहां, जब-जब लोगों की तैयारी होगी, उन लोगों के बुलावे पर उन्हीं के क्षेत्र में जाकर, उन्हें के कार्यकर्ताओं का शिक्षण-प्रशिक्षण, कुशलता और दक्षता बढ़ाने के साथ-साथ उन्हें स्वराज के रास्ते पर चलने की सीख देने वाली यात्रा बनेगी।
इस अवसर पर शिक्षण महाविद्यालय की प्राचार्य प्रोफेसर सरोज गर्ग ने कहा कि, हम हमारे शिक्षकों को इस यात्रा में जब भी जलपुरुष चाहेंगे , हम उनके साथ उनको जोड़ेंगे ।
यह यात्रा तीन नारों से सुशोभित हुई पहला “नीर, नारी,नदी – नारायण – नारायण – नारायण “ दूसरा “मेवाड़ की खुशहाली – अरावली की हरियाली है“ तीसरा “ स्वराज की शुरुआत है – मेवाड़ मेवाड़ मेवाड़“। इस तीनों नारों के साथ यात्रा विद्यापीठ के परिसर से बाहर निकाल कर गुजरात के रास्ते से होते हुए अनंत यूनिवर्सिटी , अहमदाबाद पहुंचेगी।
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