किसानी, पानी और जवानी यह तीनों अपनी जगह छोड़ने के लिए मजबूर हो गए है :- डॉ राजेन्द्र सिंह अंतरराष्ट्रीय जलपुरुष

किसानी, पानी और जवानी यह तीनों अपनी जगह छोड़ने के लिए मजबूर हो गए है :- डॉ राजेन्द्र सिंह अंतरराष्ट्रीय जलपुरुष
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स्थान- मदुरै, तमिलनाडु
5 अक्टूबर 2024 को मदुरै, तमिलनाडु में किसान सम्मेलन का आयोजन किया गया। जिसमें तमिलनाडु किसान आंदोलन के मुखिया, पर्यावरणविद्, सामाजिक कार्यकर्ता, जलपुरुष राजेन्द्र सिंह जी, भारत के किसान नेता श्री बीएम सिंह, अशोक कल्याण, धर्मेंद्र मलिक, एड. गुरु स्वामी तथा तमिलनाडु के सभी जिलों के करीब 66 किसान मुखिया उपस्थित रहे।
इस अवसर पर किसान नेता बीएम सिंह ने कहा कि, किसानी को बचाना है तो न्यूनतम समर्थन मूल्य गारंटी होना जरूरी है। यदि यह नहीं होता है, तो किसान को किसानी करना बहुत मुश्किल हो रहा है। इस वक्त मजदूरी और खेती की लागत बढ़ती जा रही है। खेती में लागत, मशीन, खाद और बीज के खर्चे नहीं निकल पा रहे। हमने गन्ने का उचित मूल्य दिलाने के लिए विविध स्तर पर लड़ाईलड़कर हजारों करोड़ का फायदा किसानों को पहुंचाया है। यह लड़ाई तभी लड़ी जा सकती है, जब न्यूनतम समर्थन मूल्य गारंटी सुनिश्चित हो। न्यूनतम मूल्य गारंटी सुनिश्चित नहीं होगी तो फिर इस तरह की लड़ाइयां लड़ी नहीं जा सकती। इसलिए किसानों को उनकी फसलों का ठीक दाम मिलेगा, तब ही किसानी बचेगी।
इसी अवसर पर जलपुरुष राजेंद्र सिंह जी ने कहा कि किसानी, पानी और जवानी यह तीनों अपनी जगह छोड़ने के लिए मजबूर हो गए है। बारिश के दिनों में पानी बहके चला जाता है। यह पानी गंदे नाले और नदी में मिलकर, धरती के पेट को दूषित करता है। वह पानी फिर इंसानों के पेट में पहुंचकर, बीमार बनाता है।
जब पानी नहीं होता है तो किसान के पास मौजूद हजारों बीघा जमीन भी बंजर होगी। भारत में हर जगह बादल पानी लेकर आते हैं लेकिन बादलों के निकले हुए पानी का ठीक से प्रबंधन आजादी के 78 साल होने के बावजूद भी हो नहीं पा रहा है। इसलिए बहुत सारी जमीन बेपानी होती जा रही है। हमारे किसानों की लाचारी, बेकारी, बीमारी बढ़ रही है। इन सबको ठीक करने के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य गारंटी होना जरूरी है। समझ नहीं आ रहा कि, सरकार किसानों का न्यूनतम लागत का मूल्य देने में क्यों कतरा रही है ?
इस अवसर पर मुजफ्फरनगर से आए धर्मेंद्र मलिक ने कहा कि, हम किसानों को न्यूनतम मूल्य दिलाने के लिए हम आंदोलनरत है। अशोक बालियान ने भी इस बात को बहुत जोरों से रखा।
बीएम सिंह ने न्यूनतम समर्थन मूल्य गारंटी, आंदोलन के लिए फिर से किसानों को नारा लगाकर संकल्प दिलाया।
अंत में जलपुरुष ने कहा कि अभी भी समय है कि हम प्रकृति के रक्षण -संरक्षण का काम करें, तो प्रकृति हमारा पोषण करने लगेगी; जिससे जलवायु परिवर्तन अनुकूलन, उन्मूलन भी होने लगेगा।
इस सम्मेलन में सर्व सम्मति से यह भी कहा कि, न्यूनतम समर्थन मूल्य गारंटी होनी चाहिए। यदि नहीं होगी तो जवान बेरोजगार होंगे और पानी के बिना जलवायु परिवर्तन का खतरा बढ़ेगा। इसका दुष्प्रभाव किसानी पर होगा। यदि सरकारें न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी के सवाल को हल्के में लेती है तो किसानों को अपनी सरकार बनानी चाहिए। आज उद्योगपतियों ने अपने पक्ष में रणनीति बनाने का षड्यंत्र पक्का कर लिया है। इसलिए अधिकतर नीति उनके पक्ष में होती है। ऐसे में किसान बिखरे हुए, जिसके कारण किसान सरकार पर दबाव बनाकर अपने पक्ष में नीति नहीं बनवा पा रहा है। इसलिए किसानों को संगठित होकर, सरकार पर दवाब बनाना चाहिए,जिससे न्युनतम समर्थन मूल्य देने के लिए सरकार राजी हो सके।
अंत में पर्यावरण और किसानी पर काम करने वाले लोगों को हरे रंग की चादर और प्रमाण पत्र देकर सम्मानित किया। इस अवसर पर गुरु स्वामी ने सभी को धन्यवाद ज्ञापित किया।
इसके बाद यात्रा ने वायनाड के लिए यात्रा ने प्रस्थान किया। इस यात्रा बीएम सिंह, धर्मेंद्र मालिक, अशोक बाल्यान, गुरु स्वामी आदि साथ रहे।